मुक्तक
मुक्तक
उनकी नजरों में न जाने कौन सा नशा है
जब भी उन से बाहर निकलना चाहता हूं
उतना ही उन नजरों में डूब जाता हूं।
तुझे कैसे बयां करूं मेरी जिंदगी
पता ही नहीं चल रहा है
पर, कल हवाएं मुझसे बोल रहे थे
तुम्हारा नाम मेरा दिल बड़ी प्यार से
हीर बोल कर पुकारता है।
कितनी शर्माती है ये नजरें आपकी
हम जब भी आपकी ओर देखते हैं
आप लजाते हुए, हंस कर चली जाती हो
पहली बरसात की तरह।