मुक्तक : अजनबी
मुक्तक : अजनबी
जिंदगी में भी कैसे कैसे खूबसूरत पल आते हैं
कोई अजनबी जब हमारी जिंदगी बन जाते हैं
पहली मुलाकात में वे दिल में घर कर जाते हैं
प्यार के सागर से दिल की गागर भर जाते हैं
जब से उन्हें देखा है ना नींद है और ना ही करार
दिल उन्हीं के दरवाजे पे दस्तक देता है बार बार
उनकी निगाहें, मुस्कान, अदाओं का है घातक वार
हम मजबूर होकर कर बैठे एक अजनबी से प्यार
एक अजनबी अचानक मेरी जिंदगी में आ गई
निगाहों ही निगाहों में वो , मुझे अपना बना गई
कोमल से अहसासों का दामन थामकर चल पड़े
और वो मुस्कुरा कर जन्नत का सपना दिखा गई