मुक्ति

मुक्ति

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आसान नहीं है,

जीते जी मुक्त होना,

अंतिम क्षणों में,

मुक्ति तो नियति है।


जब जीव के नियंत्रण,

और अनियंत्रण के दायरे,

खत्म हो चुके होते हैं,

तब मिलती है,

थोपी गई मुक्ति।


जिसे स्वमुक्तता की,

हवा छू भी नहीं पाती है,

शाखा से जुड़े हुए ही,

मुक्त होना असली मुक्ति है,

शाखा से अलग होकर,

मुक्ति नियति है।


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