STORYMIRROR

Tahir Ali

Romance

2  

Tahir Ali

Romance

अनाम चाहत

अनाम चाहत

1 min
320

हालाँकि मैं और तुम कभी मिले नहीं

हमें एकदूसरे की मुकम्मल समझ नहीं।


मगर फिर भी यह अहसास है

कि एक बहुत बहुत मजबूत डोर,


बांधें हुए हैं हमें एक अनाम रिश्ते के साथ

ये दो और उसका बंधन इतना मजबूत है,


कि हम हमेशा इतने ही करीब रहेंगे

कि जितने डोर आपस में गुंथे हुए रेशे,


कि जितना कूंची के साथ सटा हुआ ताला।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance