मुझसे मिलने तो आ जाओ
मुझसे मिलने तो आ जाओ
वज़ह तलाशते इन सुर्ख़ होठों पर,
इक बेवज़ह मुस्कान बन के तो आ जाओ।
नूर ढूंढती इन आँखों की,
इक चमक बन के तो आ जाओ।
वीरां दिल की इस जमीं पर,
इक एहसास बन के तो आ जाओ।
साथ कि चाह में फैले इन हाथों का,
इक मजबूत सहारा बन के तो आ जाओ।
सहमे सहमे बढ़ते इन कदमों का,
इक उल्लसित उछल-कूद बन के तो आ जाओ।
नींद की इस ख्वाबों के सफ़र में,
इक हमसफ़र बन के तो आ जाओ।
मैं एक कँवल हूँ,
तुम भ्रमर बन के तो आ जाओ।