STORYMIRROR

अस्तित्व की लड़ाई

अस्तित्व की लड़ाई

1 min
9.3K


राख की ढेरी में,

सुलग रही एक चिंगारी थी।

उठी कूड़े की टोकरी में,

संघर्ष अस्तित्व का कर रही थी।


जा पड़ी कूड़े की ढेर पर,

अब गिन रही अंतिम श्वास थी।

जो सरल थे वो साथ उसके खड़े थे,

धीरे-धीरे कर रही तेज का विस्तार थी।


एक और चोट हवा का हुआ,

बजाये बुझने के वो और सुलग रही थी।

अब की प्रहार तूफ़ान का था,

पर अब वो चिंगारी बन चुकी ज्वाला थी।


जो उसपे प्रहार कर रहे थे,

राख वो उन्हें अब कर रही थी।

ये वही एक चिंगारी थी,

जो अस्तित्व के लिए लड़ रही थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational