भा रहे वो हमें
भा रहे वो हमें
भा रहे वो पुष्प हमें,
नाता जिनका न है सुगंध से।
भा रहे वो शब्द हमें,
नाता जिनका न है सत्य से।
भा रहे वो स्वर हमें,
नाता जिनका न है भक्ति से।
भा रहे वो कर्म हमें,
नाता जिनका न है धर्म से।
भा रहे वो नीतिज्ञ हमें,
नाता जिनका न है राष्ट्र से।
भा रहे वो मानव हमें,
नाता जिनका न है मानवता से।
भा रहे वो व्यवहार हमें,
नाता जिनका न है परोपकार से।
भा रहे वो संबंध हमें,
नाता जिनका न है प्रेम से।
भा रहे वो पथ हमें,
नाता जिनका न है सुपथ से।
भा रहे थै हमें..