मुझे तुमसे कोई उम्मीद नही
मुझे तुमसे कोई उम्मीद नही
मैं कैसे कह दूं तुमसे कि मुझे तुमसे कोई उम्मीद नहीं,
ये दिल दिया तुमको ये जान तुम्हारे नाम कर दी,
हर पल किया है तेरा इन्तजार दिन हो या हो रात,
इक पल के लिए भी नही भूले तुझको हर पल रखा याद,
एक उम्मीद जगा गए थे तुम मेरे दिलो दिमाग में,
लौट कर तुम आओगे और थाम लोगे हमारा हाथ,
तेरे इन्तेजार में नजरे टिकाए बैठे रहते है,
ये उम्मीद का दामन हम कभी छोड़ते नही,
ये कैसे कह दूं मैं कि मुझे तुमसे कोई उम्मीद नही,
इक तेरा साथ ही तो हमको लगता बड़ा प्यारा है,
कोई और हो चाहे कितना भी हसीन मेरे दिल को भाता नही,
प्यार जो किया इक बार तुझसे तो हर उम्मीद तुझसे जुड़ गई ।