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Minal Aggarwal

Tragedy

4  

Minal Aggarwal

Tragedy

मुझे नहीं करनी कोई नई शुरुआत

मुझे नहीं करनी कोई नई शुरुआत

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जिन्दगी खत्म होने की कगार पर 

आई 

इसमें चाहकर भी अब कोई नई शुरुआत 

नहीं हो सकती 

कुछ नया करने की कोशिश भी करो तो 

कुछ समय पश्चात 

जीवन की गाड़ी वही पुरानी पटरी पर 

दौड़ने के लिए वापस पलट जाती है 

यह जीवन की सच्चाई है 

इसमें झूठ क्या बोलना या 

बढ़ा चढ़ाकर कुछ क्या कहना 

जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर 

सच बोलने से भी डर नहीं लगता 

वैसे तो देखा जाये जीवन में कभी 

झूठ बोला नहीं लेकिन 

विडंबना यह रही कि 

मुझे कभी किसी ने सच्चा और 

मेरी किसी बात को सच माना नहीं 

जिन्दगी में बहुत उतार चढ़ाव देखे 

प्यार को जड़ से खत्म होते देखा 

रिश्तों को मिटते देखा 

अपनी जिन्दगी को अपने हाथों से ही 

छूटकर कहीं 

रेत के रेगिस्तान में डूबता देखा 

रिश्ते बिल्कुल अपने 

करीबी 

और दिल से जुड़े को भी 

एक दीवार पर बनी कोयले की 

लकीर सा कभी बनते तो 

कभी मिटते देखा 

मेरे दिल में प्यार कभी पर 

किसी के लिए 

रत्ती भर भी कम न हुआ 

सब कुछ लुटाकर अपना पर 

अपना किसी को न मैंने बनते 

देखा 

जिन्दगी की कहानी मेरी है पर

अंत में ऐसा लगता है की जैसे 

मैंने नहीं लिखी 

मैं तो इसे लिखती थी 

सुंदर से सुंदर अक्षरों का 

उपयोग करती हुई लेकिन 

तकदीर के काले बादल इन पर 

तत्काल प्रभाव से ही पोंछा लगाकर 

इन्हें जड़ से मिटा देते थे 

मैं ऊब चुकी हूं 

जिन्दगी से 

इसके खेल से 

इसके अनुभवों से 

इसके परिणामों से 

इसके आयामों से 

मुझे नहीं तय करना कोई रास्ता 

नहीं पानी कोई मंजिल 

नहीं करना कोई ख्वाब पूरा 

नहीं पाना किसी का प्यार 

नहीं आरम्भ करनी किसी नये सफर की 

कोई नई शुरुआत 

जो सामने आ रहा है 

मैं तो उसका सामना करने के 

लिए अपनी कमर कसे जा रही हूं 

गणेश जी का नाम लेकर 

यूं तो करते हैं 

इस दुनिया के लोग 

किसी भी कार्य की एक 

नई शुरुआत तो 

हो सकता है 

प्रत्यक्ष रूप से नहीं तो 

परोक्ष रूप से ही सही 

गणेश जी की कृपा 

इस बरस मुझ पर बरस जाये।


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