मुझे मंजूर नहीं
मुझे मंजूर नहीं
नामंजूर है मुझे तेरा लौट आना
जितनी दफे तू मुड़ कर गया,
उतने दफे तु फिर सा तू ना रहा
और ना मैं फिर से मैं सी रही,
बदल गया कुछ, संभल गया कुछ
शर्मसार कर गया यह तेरा आना जाना
फर्क तुझे ना पड़ा,ना पड़ेगा क्योंकि
बेशर्म हो जाने के लिए पहले शर्म को
तवज्जो देने की जरूरत है तो जिसने
शर्म ना कि वह हो गया बेशरम।