मुहब्बत तो दवा है
मुहब्बत तो दवा है
मुहब्बत तो दवा है
मर्ज कहाँ है,
दिल अगर मजबूत है
तो हर्ज कहाँ है !
आशिक हो गर तुम
मालूम ज़रूर होगा,
प्यार अनमोल है
खुदगर्ज कहाँ है !
हर राह पत्थर सम
हो नहीं सकती ,
हमराह थे हमारे
बेदर्द कहाँ है !
सुनकर ये आलाप
वो भी ठहर जायेंगे
नासमझ हैं गर वो
बेशर्म कहाँ है !!