मतलबी
मतलबी
अजीब हरकतें
करते हो जानिब,
बाल सुलझाने के बहाने
बात बना ली।
बातों बातों में
रात रंगीन बना ली
बाल सुलझने के चक्कर में
बात उलझा दी।
बड़े मतलबी हो तुम,
अपनी बात मनवा लेते हो
मेरी एक नहीं सुनते हो।
आखिर बार तुमने कब
गहना बनवाया था
नया एनरोइड फोन
कब दिलाया था।
कम से कम ये भी
याद है क्या,
आखिरी बार
जन्मदिन कब मनाया।
सारी तुम्हारी मतलब की बातें
बेमतलब बाय भी नहीं कहते
दिन रात चुल्हा-चौका मैं करूँ
और रात तुम्हारी सेवा करूँ।
अब तुम्हारी एक न चलेगी,
और ज्यादा क्रेडिट नहीं मिलेगी
मेरा हर कहना सुनना होगा,
मेरा हर सवाल का जवाब देना होगा।