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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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मतलब की दुनिया

मतलब की दुनिया

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मतलब की इस दुनिया में झूठे लोग झूठी मुस्कान,

चेहरे पर लगा है चेहरा कैसे हो अपनों की पहचान,

सामने मीठी मीठी बातें और पीठ पीछे छुरा चलाते,

शहद शहद बोलकर जिंदगी को नीम सा बना जाते,


प्यार, अदब, तहज़ीब का ढोंग रचाते हैं यहाँ इंसान,

झूठी मुस्कुराहट के पीछे छुपा लेते अपनी पहचान,

भावनाओं की कद्र नहीं कदम कदम पर देते धोखा,

अदाकारी ऐसी कि कोई भी इन्हें पहचान ना पाता,


खुशियाँ मनाते हैं यहाँ अपने ही अपनों को हराकर,

दिखाते हैं फूल और खड़े रहते हाथों में पत्थर लेकर,

हथेली पर उगाते पौधा और बरगद की करते हैं बात,

मतलब खत्म हो जाने पर पल में ही छोड़ देते साथ,


झूठ की नींव पे बने रिश्ते एहसासों से होते अनजान,

विश्वास,जज्बातों की कीमत कहाँ समझता है इंसान,

सच्चाई बिक रही है सस्ते दाम झूठ चढ़ रहा परवान,

झूठ को मीठा और सच को कड़वा मानता है इंसान,


बाजार में बिकते मुखोटे इंसान की बन गयी पहचान,

चेहरा बदलते बदलते असली चेहरा भूल गया इंसान,

दिल में बैठा फरेब छीन ले गया मुस्कुराहट चेहरे की,

अब तो बेमानी सी लगती हैं बातें विश्वास, भरोसे की।


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