मत लिखो
मत लिखो
गर हो अखबारनवीस, झूठी खबरें मत लिखो,
जरूरी तो नही हर दुख लिखना, सोचो, पर मत लिखो.
बंद कर लेना चंद खुशियों को मुट्ठी में,
उठा लेना गूंगे के गुड़ का स्वाद, ठहरो, मत लिखो.
'गर हो रहे हो परेशां तुम किसी की हरकतों से,
सह लेना, सुलझा लेना, पर खुले आम मत लिखो.
उठता हो 'गर गुस्सा बेबात, आये हों आँखों मे आंसू,
कुछ पल की भावनाएं हैं, खुदा के वास्ते मत लिखो
माना कि हो गया है प्यार, खुशी से झूमता हो दिल,
आज़मा लो चंद और दिन रश्मि, जल्दबाजी में मत लिखो.