मत ले मेरे प्यार का इम्तिहान
मत ले मेरे प्यार का इम्तिहान
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ए खुदा तू मेरे प्यार का इम्तिहान कब तक लेगा
मैं मुनासिब नहीं इसके लिए
मैं प्यार तो कर रहा हूं हर रोज हर बार
उससे, जिसे मेरी परवाह नहीं
मैं तो एक दरिया सा हो गया हूं
जिसका कोई किनारा नहीं
मैं हर फकत उसे याद करता हूं
जो मेरा सहारा नहीं
यह कैसा प्यार है जिसके लिए मैं बेकरार हूं
मैं प्यार के मायने अब समझता नहीं
मैं उल्फतों में पड़ता नहीं
मैं बैठा हूं उस जजीरे पर
जहां कर रहा हूं मौत का इंतजार अब
ए खुदा मत ले मेरे प्यार का इम्तिहान अब!!!