STORYMIRROR

SHREYANSH KUMAR

Inspirational

4  

SHREYANSH KUMAR

Inspirational

लिखने को बहुत कुछ है मगर, पर

लिखने को बहुत कुछ है मगर, पर

1 min
372

लिखने को बहुत कुछ है मगर,

पर सोचता हूं लिखूं भी तो क्या लिखूं

अपने दर्द भरे अल्फाज लिखूं , या अपनी मां का त्याग लिखूं

अपने पिता का संघर्ष लिखूं या फिर अपने प्यार का त्याग लिखूं

अपनों के खातिर हर दरकता रिश्ता लिखूं

या पिता के खातिर सफलता का सार लिखूं

इश्क लिखूं या इश्क की रुसवाइयां लिखूं

समाज लिखूं या ऊंच नीच का भेदभाव लिखूं

एक रोटी के लिए गरीब की लाचारी लिखूं

या भूख के लिए धर्म मजहब ऊंच-नीच ना देख कर उसकी बेबसी लिखूं

स्वार्थ की खातिर इंसानियत की मौत लिखूं

या एक बेटी की मनोदशा लिखूं

ना जाने उसके हर एक रुप में कभी समाज से कभी अपनों से उसे सताया जाता है

उसके प्यार को कभी कभी निरर्थक बताया जाता है

अरे मैं लिखूं भी तो क्या लिखूं

किसी का इश्क लिखूं

किसी का दर्द लिखूं

या किसी की सफलता लिखूं

लिखने को तो बहुत कुछ है मगर, पर

लिखूं भी तो क्या लिखूं !!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational