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Sarita Dikshit

Children

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Sarita Dikshit

Children

मस्ती की पाठशाला

मस्ती की पाठशाला

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हमने भी थे मज़े किए

क्या था वो भी दिन निराला

कैसे हम बच्चे भूल सकेंगे,                 

मस्ती की वो पाठशाला।


थी टीचर की वो झिकझिक प्यारी,

बात-बात जो मिलती थी

पढ़ लो कुछ अब, कर लो कुछ अब,

सीख यही निकलती थी।


थे दोस्त भी अपने बड़े गज़ब,

थे साथ में हर शैतानी के,

जब डांट मुझे मिलती वो करते,

नाटक थे हैरानी के।


जब टिफिन छीनकर एक दूजे का

बिन पूछे खा जाते थे,

रूठे साथी को जाने किन-किन

तरकीबों से मनाते थे।


वो बनना अपनी मैडम का

सबसे प्यारा सबसे अच्छा

इस होड़ में आगे रहने की

चाहत में रहता हर बच्चा


विश्वास प्रेम बेफिक्री की

मोती से बनी थी हर माला

जीवन भर भूल नहीं सकते

हाँ मस्ती की वो पाठशाला

मस्ती की वो पाठशाला…..



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