STORYMIRROR

dr vandna Sharma

Drama

5.0  

dr vandna Sharma

Drama

मस्त महीना फाग

मस्त महीना फाग

1 min
370


ठण्ड यूँ शरमाकर गायब हो गयी

जब आया मस्त महीना फाग

हवा में फैली खुश्बू गेसुओं की।


मस्त पपीहों ने छेड़ा राग

ऊर्जा और जोश से चहुँ दिशाएं पुलकित

खिले-खिले बौराये से आम के बाग़।


यौवन आया अमलतास पर

गुलमोहर ने ली अंगड़ाई

गुलाब क्यों पीछे रहता आखिर

उसने भी चारों ओर नई छटा बिखराई।


फागुन का मौसम और प्रकृति का श्रृंगार

अद्भुत है मन देखकर

बादलों से गढ़ता चित्रकारी

ये कौन चित्रकार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama