मस्त महीना फाग
मस्त महीना फाग
ठण्ड यूँ शरमाकर गायब हो गयी
जब आया मस्त महीना फाग
हवा में फैली खुश्बू गेसुओं की।
मस्त पपीहों ने छेड़ा राग
ऊर्जा और जोश से चहुँ दिशाएं पुलकित
खिले-खिले बौराये से आम के बाग़।
यौवन आया अमलतास पर
गुलमोहर ने ली अंगड़ाई
गुलाब क्यों पीछे रहता आखिर
उसने भी चारों ओर नई छटा बिखराई।
फागुन का मौसम और प्रकृति का श्रृंगार
अद्भुत है मन देखकर
बादलों से गढ़ता चित्रकारी
ये कौन चित्रकार।
