मसरूफ
मसरूफ
उनके साथ महफ़िल में बैठे थे इस कदर
मशरूफ हो गए
कि अपने आप का ख्याल ही न रहा
अगर कोई तकल्लुफ न हो तो
आपसे एक बात पूछूँ
अपने आप को तवज्जो नहीं दे रहे हम
बस आप इतना बता दीजिए
इस महफ़िल के बाद
हमें आपका ख्याल क्यों आ रहा
कल अगली मुलाक़ात होगी आपसे
ज़िन्दगी के कुछ मसरूफ लम्हों में
कुछ वक्त साथ गुज़ारना चाहोगे
क्या आप हमसे
माफ करना पता नहीं इतना करीब
क्यों हम आ गए आपसे
प्यार का इज़हार करने के लिए
हम उस महफ़िल में ही
मिलना चाहते हैं दोबारा आपसे।