मर्ज़ दवा और सदा
मर्ज़ दवा और सदा
एक मर्ज़ है जिसकी दवा मिलती नहीं
सास आती है मगर धड़कन चलती नहीं
तुम्हें सदा दे दे कर हमारा गला बैठ गया
और तुम तक आवाज़ हमारी जाती नहीं
ये अज़ब बात है तुम मेरे आस पास थी
मग़र खुशबू तुम्हारी हम तक आती नहीं
जनाब ये दिल भी बड़ी महंगी चीज़ हैं
किसी को देने पे वापस मिलती नहीं
पंछियो को पानी पीता देख अच्छा लगा
अब हमें भी दिन भर प्यास लगती नहीं
मैंने पूछा तुमसे के वतन से मोहब्बत क्या होती हैं
तुमने सब नाम लिए मगर ज़फ़र की याद आती नहीं
सुनो तुम ढूंढ रहे हो जिस शह को यहाँ
सुना है वो किसी बाज़ार में बिकती नहीं।