मोहब्बत
मोहब्बत
तेरी मोहब्बत मेरे दिल का सुकून हैं
तू ही मेरी मंज़िल तू ही मेरा जुनून हैं
तेरी मोहब्बत की तड़प इस दिल मे बसी
तेरा हर लफ़्ज़ मेरे लिए ख़ुदा का कानून हैं
तेरी ये जुदाई अब सहना आसान नहीं हैं
तेरे बिना मेरी ज़िंदगी का कोई मक़ाम नहीं हैं
तेरी मोहब्बत याद बनके मेरे दिल को तड़पा रही है
शाद हैं तू इस दुनिया मे कहीं मुझे सुकून यहीं हैं
मोहब्बत सुकून बन कर वो तड़प दे जाती है
इससे बचने की कोई तदबीर नज़र ना आती हैं
शाद रहे दिल-ए-‘वेद’ जो किसी की मोहब्बत में
तड़प हैं दिल की मोहब्बत और सुकून भी यहीं हैं।

