मोहब्बत
मोहब्बत


दिल न लगायेंगे अब किसी से
यह कई बार चकनाचूर हुए हैं,
दिल लगाकर दिल्लगी करते
उलफत अब खुदगर्जी बन गई है,
कहता है ख़ुदा की सबसे बड़ी देन
मोहब्बत दुनिया वालों को मिली हैं,
पूछता हूँ मैं रब से आखिर क्यों उसने
फिजूल की यह जिल्लत हमें
बख्शी है,
देखा है हमने कई जिंदगी बर्बाद होते
मासूम दिलों को टूटते बिखरते हुए,
कोई माशूक तो कोई माशूका बनकर
लुटा किसी को और कभी खुद लुट गए,
हो सके तो बचकर रहना दोस्तों इससे
गलती से भी गलती न करना मोहब्बत की,
इक रोग जो लाइलाज है इस जहां में
आशियां बनाने न देना दिल में यारों कभी।।