मोहब्बत
मोहब्बत
जिसकी झलक देखी एक बार,
दिल पुकारे जिसे हर बार,
न आवाज सुनी न बातें की,
फिर भी नज़र आए सूरत उसकी,
दिल रहता हर पल बेचैन,
ढूंढे जिसको मेरे नैन,
मन करे जिससे मिलने को,
जिसके बिन न आए चैन,
जाने कौन है? कहाँ है?
जिसका घर मेरे ख्वाबों का जहान है,
या खुदा, मुझे उससे मिला दे,
मुझे मेरा चैन लौटा दे,
या फिर कर ये सितम,
दिल न ढूंढे कोई सनम,
क्योंकि मोहब्बत है वो शिकंजा,
जिससे है ना कोई बचा,
जिसमें मिलती है बेवफाई की सज़ा,
फिर भी फंसने को दिल है तैयार सदा।

