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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance

मोहब्बत रहे न रहे

मोहब्बत रहे न रहे

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आपकी यादों के बीच कटती है मेरी हर रात,

दिल को चैन नहीं मिलता और दिल रहता है उदास।


आ जाओ तुम्हें मैं गले से लगा लूं,

प्यार के दरिया में डूबूं और डुबा दूं।


कभी कभी तो मेरे दिल को तसल्ली दिया करो,

अपने होठों से मेरे होठों को चूम लिया करो।


आपकी खातिर ही सनम मैं तन्हा बैठा हूं, 

दूर ही सही तेरी यादों में खोया रहता हूं।


उल्फतों के साये में तलबदार नहीं,

जिंदगी के कुछ उसूल होने चाहिये,

मोहब्बत रहे न रहे कभी जिंदगी में, 

मगर वफा के सिलेसिले रहने चाहिये।



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