मोहब्बत की सांस
मोहब्बत की सांस
मोहब्बत की सांस कितनी होती है
जितना जी लिए, बस उतनी होती है!!
जिस दिन वो हाथ छूटता है
उस दिन सब आस टूटता है
की गई हर कोशिश बेकार होती है
जब रिश्ते में आई कोई दरार होती है!!
महज़ कोशिश से कोई बात नहीं बनती
जितना जी लिए, उतनी याद नहीं मिटती
मोहब्बत हुई थी एक ज़माने में
मुद्दतें लग गयी उसे भूलाने में!!
अरदास किये, फरियाद किये
हर मुमकिन कोशिश कर डाली
बात बस इतनी सी थी कि
महज़ कोशिश से कोई बात नहीं बनती!!
फिर उन्हीं सवालों में आकर उलझी
मोहब्बत की सांस आखिर होती है कितनी!!