मोहब्बत के रंग
मोहब्बत के रंग
बदलते गए उनकी मोहब्बत के रंग बदलती हुई
आदतों के संग हम तो लिए बैठे थे
उनका अक्श आंखों में पर उनकी गलियां होने लगी थी
तंग उन्हीं से सीखी हमने बहकने की अदा उन्हीं से आया था
हमें जीने का ढ़ंग वो गए जब मुंह मोड़कर साथ छोड़कर साथ
समेट ले गए मेरी सांसों की तरंग जब वो साथ थे मेरे,
मेरी शामें रंगीन थी अब ना जाने खोई कहाँ आँखों की उमंग
साथ हम नहीं फिर भी ख़्यालों में हूँ ये कैसी प्रीत
लागी उस निर्मोही के संग बदलते गए उनकी
मोहब्बत के रंग बदलती हुई आदतों के संग।