मोहब्बत के धागे उलझे हुए थे
मोहब्बत के धागे उलझे हुए थे
मेरे और तुम्हारे रिश्ते में
बहुत सारे धागे उलझे हुए थे
जिसे सुलझाना थोड़ा मुश्किल था
जिसे बतलाना थोड़ा आत्मघाती था
जिसे समझाना थोड़ा अनैतिक था
मेरे और तुम्हारे रिश्ते में
बहुत सारे धागे उलझे हुए थे !
मैं रोज सुबह तुम्हें देखता,
तुम मुझे देखती रहती थी
मोहब्बत साकार हो जाता
यही हमारी मोहब्बत की
पहचान थी
जहां अनगिनत चाहत थी !
लेकिन मोहब्बत का पतंग
हम दोनों के न हाथ था
एक दूसरे की रूह हमारे
साथ थी
लेकिन, हमारे जिस्म की नाव
किसी और के हाथ थी
मेरे और तुम्हारे रिश्ते में
बहुत धागे उलझे हुए थे !

