मन में क्यों उदासी
मन में क्यों उदासी
जीवन में खुशियाँ हैं फिर भी दिखती उदासी है,
यदि कहें तो जिंदगी गुजर रही अच्छी खासी हैII
जीवन में बहुत कुछ पाना चाहते हैं हम सभी,
पर जो चाहते वो ना मिलता ये कैसी बेबसी हैII
जब जरुरत वक्त कि होती तो वक्त न मिलता,
दिल में दर्द पर न जाने होठों पर ये कैसी हंसी हैII
कमजोर जानकर लोगों ने बहुत सताया है हमें,
जब हमें बुरा लगा तो सबने कहा बात जरा सी हैII
खुशी ढूंढता हूँ ऐसे जैसे हिरण कस्तूरी ढूंढता है,
तड़प रहा हूँ ऐसे जैसे मीन जल में भी प्यासी हैII
वक्त को रोकना चाहा पर वो आगे बढ़ता जा रहा,
वक्त बेवक्त शोर भरे इलाके में भी यह खामोशी हैII
अब बहती इन बेरंग हवाओं से भी मन भर चुका,
सब कुछ जीवन में फिर भी मन में क्यों उदासी है I।
