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Rinku Bajaj

Romance

3  

Rinku Bajaj

Romance

मन की बात

मन की बात

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भावनाओं में बह कर

कुछ ऐसा न बोल देना

है हर कोई अपना यहाँ

ऐसा न सोच लेना !


ना दो अहमियत किसी को

जो तुमको वो आँक पाए

दिल है जब तुम्हारा तो

कोई क्यों झांक पाए !


हर किसी की ज़िन्दगी में

एक चेहरा है सिर्फ अपने लिए

मुमकिन नहीं है ये राज़

हर किसी को बताना !


बात ज़ुबान से निकल गयी तो

नहीं रहती वो अपनी भी

जब रह नहीं पाई सीने में

तो किस को क्या दोष देना !


जुदा है सोच हर किसी की

हर आरज़ू अलग है

हर कोई हो अपने जैसा

ऐसा कहाँ सबब है !


जो दिख रहा है, वो सही है

अब ऐसा भी नहीं है

नज़रिया है सब का अपना

हो एक सा, न सोच लेना !


संस्कार की परिभाषा

वहीं तक सही है

जहां अपनी हो सीमा रेखा

पूर्णविराम वहीं है !


निर्धारित है लक्ष्मण रेखा

उसको मत तोड़ देना

भावनाओं में बहक कर

कुछ ऐसा न बोल देना !


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