मन के आईने
मन के आईने
कोई चेहरा देखकर समझिए कि किसी अपने का है
उस चेहरे पे लिखा नाम पढ़िए जो दुखी सपने का है
आस लगाए बैठा है अपना सिर छुपा कर कोने में
पास जाकर पुछना इस समय कि तुम्हें क्या चाहिए।
वो एक अजनबी ऊपर से बदनसीब
कल कि फिक्र में आज पेट रखा खाली
ये दिन तो कट जायेगा भूखे रहने पर भी
रात रानी उसकी भूखे रहने पर लगेगी भारी।
यूं तो यादों के सहारे भूख मिटाने का बहाना अच्छा है
यादों में खोकर बातें करना कहां से कहां ले चलता है
जो हवा का झोंका आग बड़ी भारी लगा देता है
वहीं झोंका धूप में पसीना सुखाने लगता है।
ये हवा जरा राहत दें दे
ये हवा जरा चाहत दें दें
खो दिये है तेरे कारण कितनों ने अपने
उनको ये हवा तेरे साथ का जीवन संगीत दें दे।
हवा ने अपना चेहरा दिखाया
आईने ने जब गुहार लगाई है
आईना भी नहीं समझ पाया हवा के चेहरे को
हवा के चेहरे का रूप किस ओर से सामने है।
सामने है आईना, आईने के सामने हवा
क्या देखा आईने ने और देखा क्या हवा ने आईना
मन की शांति आईने को हुई या आईना हुआ साफ
आईने में हवा अपना दर्द दर्ज नहीं कर सकी
आईना हवा से अपनी कोई बात नहीं कह सका।
मन के आईने सारे समुद्र से लगते हैं
पर समुद्र ये सारे के सारे खारे हैं
बूंदें जो पीयें पर गले से ना उतर पाती है
लेकिन इन बूंदों को अब मीठी बनानी है।
