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Kumar Kishan

Drama

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Kumar Kishan

Drama

मन का हत्यारा

मन का हत्यारा

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आज मानवीय संवेदना मर चुकी हैं

स्वार्थ से यह दुनिया भर चुकी हैं

कोई किसी की परिस्थितियों को

क्यों नहीं समझ रहा है ?


शायद हर किसी की दिल

में एक हत्यारा आ चुका हैं

जी हाँ, हत्यारा जो मानवीय

सहानुभूति की हत्या करता है


इस सुंदर प्रकृति को भी

कुरूप बनाता हैं

मन की देवता को पराजित कर

बस,अपनी ही मनमानी करता है


वही तो हत्यारा है,

बस वही तो हत्यारा है

मन की इस हत्यारा को हराना है

अपने लिए ना सही, दूसरों के

लिए तो जीना है, बस


इतनी सी भावना गर

मानव अपने मन में जिस

पल कायम कर लेगा

सच पूछो तो, मन का यह

हत्यारा खुद ही हत्या कर लेगा।


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