मन बहुत रोया
मन बहुत रोया
खयालों में ही सही मन घर जाकर बहुत रोया
घर से गूंजती खिलखिलाहट पाकर बहुत रोया।
गला बेसुरा हो गया था बिना गाए बहुत दिनों
आज वही पुराने से तराने गाकर बहुत रोया।
आज के लजीज व्यंजन से पेट भरते आया
मन तृप्त करने वाले भोज खाकर बहुत रोया।
जिनको देखे हुए लंबे से अरसे बित गए थे
एक तड़प के साथ गले लगाकर बहुत रोया।
समृद्धि, उन्नति और तरक्की तो अलग बाते
इन सबसे दूर बिता सकून पाकर बहुत रोया।
आज नए घर में होते हुए भी घर में क्यों नहीं
उन खयालों से मन वापस आकर बहुत रोया।