मजदूर
मजदूर
देश का मजदूर हूँ
वक्त और हालात से मजबूर हूँ !
दर-बदर भटकता हूँ
भूख-प्यास से बेहाल हूँ
मदद की गुहार माँगता हूँ
बेज़ान बनें इंसानों से
व्यथा का आक्रोश बताता हूँ
हृदय की भावना खोलता हूँ
मन की गठरी को खोलता हूँ
सरकार के वादों को टटोलता हूँ
स्वयं की पहचान को ढूँढता हूँ
जरूरतमंदों की टोली में चलता हूँ
वतन को कदमों से नापता हूँ
देश का मजदूर हूँ
वक्त और हालात से मजबूर हूँ।