आज तुम्हारी बारी है
आज तुम्हारी बारी है
आज तुम्हारी बारी है,
और ये तुम्हारी जिम्मेदारी है।
बन जाओ तुम अर्जुन,
तुम रण में सब पे भारी हो।
आज भयंकर समर लड़ना है,
युद्ध का माहौल पूरा बदलना है।
शानि की कुदृष्टि बन कर,
दुश्मन का काम तमाम करना है।
शत्रुओं का मंगल भारी करके,
उन पर टूट पड़ना है।
दुश्मन की कमर तोड़नी है,
उसकी हर नस मरोड़नी है।
वीरता की रावानी अंतिम सांस तक दौड़नी है,
पाप की लंका की एक-एक ईंट फोड़नी है।
अपने बहते रक्त की तुम सौगंध खा लो,
दुश्मन के खून की आज तुम नदियां बहा दो।
सदियों तक याद रखे ये दुनिया,
ऐसा तुम इतिहास बना दो।
वीर शिवाजी और महाराणा के वंशज हो तुम ,
रण-कौशल से ये बात सबको बता दो।
युद्ध की घड़ी निकट है, तुमको आगे बढ़ना होगा।
कर लो आज पूरी तैयारी, आज तुमको लड़ना होगा।
विजय या वीरगति,मातृभूमि को अपने रक्त से तार दो।
उठो रणक्षेत्र में खड़े हो, शत्रु को जड़ से उखड़ दो।
