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Keyurika gangwar

Action

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Keyurika gangwar

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साहस

साहस

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दामिनी दमकें, झंझावात हो, या तेज बवंडर आया हो।


कदम आगे बढ़ते जाये, कभी न रुके कभी न थमें।

कौंधी चपला डरा रही थी, मुझको वापस बुला रही थी।


पग न डर से पीछे खींचें मैंने, चाहे भय से आँखें बंद हो।

क्योंकि सामने मंजिल मुझे बुला रही थी।

कहती वो मुझसे ,आ पास मेरे, मैं जीवन तेरा संवार दूँगी।

जीवनसाथी के हर राह पर, तेरा साथ दूँगी।

संशय था उर में यह सत्य है या हो रहा भ्रम मुझे।

तेज मूसलाधार वर्षा और गर्जना, खूंखार पशुओं से कहीं हो ना जाये सामना।

हृदय कहता भय न कर, बस आगे बढ़ते जा।

मंजिल तेरी तुझे बुला रही है।


मान बात हृदय की कदम आगे बढ़ाया ज्यों।

मेघ बीच बिजुरी दमकी, सिंह गर्जना अति तीव्र।

भय से काँप हृदय गया, सिमटा मेरा विश्वास।

इक बार फिर हृदय ने पुकारा, चल आगे बढ़।

भय से जीत, बटोर साहस, ज्यों ही कदम बढ़ाया।

स्वच्छ हुआ अम्बर, वन में सौरभ मुस्काया।

निशा कालिमा दूर हुई, सतरंगी आभा भर लाया।

मन प्रसन्न, पा मंजिल, जीवन का सार समझ आया।



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