मन ने मान लिया
मन ने मान लिया
भूला दिया है तुमको,
पर भूलने की इजाजत ना पाई है,
मन ने तो मान लिया तुझे बेगाना,
पर कमबख़्त अब दिल की बारी आई है,
राहों में देखा तुझको,
हमने मंज़िल कुछ ओर ही पाई है,
देखें थे सपने हजार...
पर अब उन सपनों में सिर्फ तू नज़र आई है,
मन ने तो मान लिया पर...
कमबख़्त अब दिल की बारी आई है,
सोचा था मिलेंगे तुमको,
अपना हाले दिल सुनाएंगे,
झूठे थे सपने मेरे!! अब वादे क्या निभायेंगे,
मन ने तो मान लिया पर...
कमबख़्त अब दिल की बारी आई है,
ठहराव हे बहुत मुझमें,
पर तुझे देखते ही बेचैनी सी छाई है,
मन ने तो मान लिया पर...
कमबख़्त अब दिल की बारी आई है।
