जज़्बात
जज़्बात
आज ऐसा अंदाज़ लिखता हूं,
सामने ना होकर भी दिल के जज़्बात लिखता हूं,
आंखों के ना सही...
दिल के अरमान लिखता हूं,
जबसे देखा तुम्हें,
मैं सहम सा गया,
ना जाना अब आगे,
मैं वहीं ठहर सा गया,
तेरी आंखों की अदा,
मेरे दिल का अरमान बन गया,
ना समझा आज तक प्यार की बातें,
आज प्यार का गुलाम बन गया,
धड़कनों की सुनूं,
या सुनूं मन की बात,
मेरा दिल हे मेरे पास! या हे ये तेरे साथ,
ना समझू मैं अब ये दिल के जज़्बात,
आज ऐसा अंदाज़ लिखता हूं,
सामने ना होकर भी...
दिल में उठे जज़्बात लिखता हूं।