प्यार
प्यार
आज आईने में देखा चहेरा मेरा,
मैंने सामने तेरी झलक है पाई,
इस क़दर मेरे दिल से...!
आंखों तक अब बस तुम ही नज़र आई,
दिल में बसाया है तुम्हें,
धड़कनों में भी तू ही छाई है,
इस क़दर तु अब मुझमें समाई है,
सामने ना होकर भी तुम,
अब सामने नज़र आई है,
बोलूं मैं कुछ बोल,
अब तो उसमें भी तेरी बोली पाई है,
होठों से निकले कुछ बात,
उसमें भी तूही समाई है,
अब ना हो सपनों में दीदार तेरा,
ऐसी कोई शाम ना आई है,
जादू है या नशा,
ये पता ना अब तक चल पाया,
डूबू मैं इस प्यार में...
गायल दिल तो बस यहीं समझ है पाया।

