कृष्ण
कृष्ण
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कान्हा तेरा नाम जपत,
मंत्रमुक्ध हो जाते हम,
क्या लिखूं मैं तेरे बारेमे,
तुम्ही श्याम मुरारी हो,
तुम्ही सबके नाथ,
तुम्हारी महिमा सबने जानी है,
बस तरस गई ये आंखे,
जो सिर्फ तेरी ही दीवानी है,
एक बार दर्शन को चाहत,
तेरी हर अदा निराली है,
कभी तो हमें सुनो,
अब आपके दर्शन को तरसे ये दुनियां सारी है।