दौर
दौर
यूँ ही बीत तो रहा ही हैं
कुछ अलग हो तो बताओ
हम भी नया साल मनाये
आँखों में आज भी वही सपने हैं
जो बचपन में देखे थे
इस साल पूरा हो तो बताओ
हम भी नया साल मनाये
क्यूँ हर बार बस भागते ही रह जाते हैं
हर बार खुदको वहीं खड़ा पाते हैं
कोशिशों से नाराज़गी है आजकल
वो दूर जाती नहीं और मेरे पास आती नहीं।
ये वक़्त अब यू ना बेकार होने देंगे
कुछ दौर बदलकर हम भी देखेंगे॥
