मजदूर prompt 1
मजदूर prompt 1
कर लेते हैं अपने वक़्त से समझौता
किसी के अच्छे वक़्त से जलन नहीं करते,
भर पेट खाने को मिले न मिले
पर अपने स्वाभिमान का कत्ल नहीं करते..
मिल जाता है जो अपनी मेहनत का
सन्तोष उसी में होता है उन्हें
किसी की थाली के छप्पन भोग देख
ऊपर वाले को दोष नहीं देते..
देख बड़े- बड़े घरों की चकाचौंध
अपनी आंखें चुंधियाने नहीं देते
खड़ा कर देते है कुछ ही समय में
बड़ी से बड़ी इमारतें वो
पर अपनी झोपड़ी की गरिमा पे
आँच नहीं आने देते..
बाबू, ये मजदूर हैं मजबूर नहीं
समझौता कर लेते हैं बुरे हालात से
पर तन और मन पर किसी
बड़े साब का एहसान नहीं लेते..
जी हाँ...एहसान नहीं लेते..!!