मजदूर को सलाम===========
मजदूर को सलाम===========
मेहनत से वो जी ना चुराए,
खूब बहाए पसीना।
हर दम लगा काम में रहता,
ऐसा उसका जीना।।
महल बनाए बड़े-बड़े वो,
रहता झोपड़ जीना।
सेठ तिजोरी वो भरवाए,
मुश्किल खाना-पीना।।
बच्चे उसके पढ़ ना पाएं,
रहे कुपोषण जीना।
कभी-कभी भोजन मिल जाए,
कभी है पानी पीना।।
गुजर बसेरा मुश्किल होता,
कपड़ा तन पर झीना।
चादर वह प्रकृति की ओढ़े,
ऐसा उसका जीना।।
एक-एक दिन ऐसा उस बीता,
जैसे गुजर महीना।
काम यदि उसे मिल जाए तो,
फूला उसका सीना।।