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Amit Kumar

Abstract

4.4  

Amit Kumar

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मिटा दे मुझे

मिटा दे मुझे

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कब चुने मोती मैंने

सदा चुने है कंकर मैंने

कब कहा कोई पवित्र शब्द

सदा कहे है अपशब्द मैंने

न करना याद मुझे

मेरी इस प्रकृति के लिए

ग़र रख सको इतने पर भी

दिल में मुझे तुम तो 

देने वाला दुनियाँ की

मुँह मांगी मुराद दे दे तुम्हें

और तुम्हारी खुशियों के बदले

मिटना पड़े तो मिटा दे मुझे।

         



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