Dr. Diptiranjan Behera
Classics
मैं एक फूल हूँ
हवा में खिलता रहता हूँ।
बिखर के भी धरती से
मिलता रहता हूँ।
हुनर
खयाल
आसा
माँ
क्यों नहीं
मिलता रहता हू...
बिन कहे
बदलो भेस
तड़पे,सिसके,छुए, निहारे चूमे प्रेम निशानी मन। तड़पे,सिसके,छुए, निहारे चूमे प्रेम निशानी मन।
किताब-ए-इश्क़ में नाम उसी का दर्ज़ हुआ, जिसने मोहब्बत में सब कुछ हार दिया। किताब-ए-इश्क़ में नाम उसी का दर्ज़ हुआ, जिसने मोहब्बत में सब कुछ हार दिया।
महाभारत होगी अब एक और, फिर भी अपने में मगन, ज़िन्दा हो कर भी मुर्दें हो गये, कर रहे अप महाभारत होगी अब एक और, फिर भी अपने में मगन, ज़िन्दा हो कर भी मुर्दें हो गये, ...
राही की शपथ अभी न पूरी है, भारत को स्वर्ग बनाएंगे, शिखर तक पहुंचाएंगे। राही की शपथ अभी न पूरी है, भारत को स्वर्ग बनाएंगे, शिखर तक पहुंचाएंगे।
वह शाम फिर एक बार अगर आये तो क्या हो, वह चाँद जमीन पे अगर उतर जाये तो क्या हो! वह शाम फिर एक बार अगर आये तो क्या हो, वह चाँद जमीन पे अगर उतर जाये तो क्या ह...
तभी होगा समाज का हर परिवार खुशहाल क्योंकि वह परिवार की महत्वपूर्ण कड़ी है। तभी होगा समाज का हर परिवार खुशहाल क्योंकि वह परिवार की महत्वपूर्ण कड़ी है।
गोदी में सर रख सुला दो ना तुम, मुझे फ़िर से मुझे ही मिला दो ना तुम। गोदी में सर रख सुला दो ना तुम, मुझे फ़िर से मुझे ही मिला दो ना तुम।
Friendship Friendship
जो मेरा संबल मेरी शक्ति हैं पिता शब्द खुद में ही अभिव्यक्ति है। जो मेरा संबल मेरी शक्ति हैं पिता शब्द खुद में ही अभिव्यक्ति है।
गैरों को भी अपना समझकर हम अपना लें। गैरों को भी अपना समझकर हम अपना लें।
अर्द्धनिशा में कारागृह में जन्म हुआ कंस के बन्दी थे वसुदेव देवकी जहॉं, अर्द्धनिशा में कारागृह में जन्म हुआ कंस के बन्दी थे वसुदेव देवकी जहॉं,
तू अब भी सर आशीष ही रखना, मेरी सांसें हैं माँ बस प्यार तेरा।। तू अब भी सर आशीष ही रखना, मेरी सांसें हैं माँ बस प्यार तेरा।।
मृत्युपाश सदृश लगे कभी, कभी लगता लाल गुलाल। मृत्युपाश सदृश लगे कभी, कभी लगता लाल गुलाल।
रामभक्त पुरुष पैदा हों जिसमें संसार में वो ही कुल धन्य है। रामभक्त पुरुष पैदा हों जिसमें संसार में वो ही कुल धन्य है।
मिले ना मिले बस...मिल जाओ पहले वाले तुम। मिले ना मिले बस...मिल जाओ पहले वाले तुम।
सारे अपने,सारे अपने सजीले अरमान हिन्दुस्तां का वह अमर जवान।। सारे अपने,सारे अपने सजीले अरमान हिन्दुस्तां का वह अमर जवान।।
जीवन जिसमें रहे प्रकाशित और अंतरमन भी हो आलोकित। जीवन जिसमें रहे प्रकाशित और अंतरमन भी हो आलोकित।
अगर तुम्हारा साथ न होता मेरा घर-द्वार और जीवन सब कुछ सन्नाटे में होता। अगर तुम्हारा साथ न होता मेरा घर-द्वार और जीवन सब कुछ सन्नाटे में होता।
तपन-जलन है बढ़ रही, अब तो जागें लोग। हरियाली के मोल में, हम ले आए रोग।। तपन-जलन है बढ़ रही, अब तो जागें लोग। हरियाली के मोल में, हम ले आए रोग।।
क्योंकि कौन जाने, किसके जीवन की नौका जाए किधर। क्योंकि कौन जाने, किसके जीवन की नौका जाए किधर।