Dr. Diptiranjan Behera
Abstract
चलाभी जायेगा ये काली रात
सूरज उगेगी आसा की साथ।
फिर से उड़ेंगे और भी ऊँचे
गिरके उठेंगे फिर से नीचे।
हुनर
खयाल
आसा
माँ
क्यों नहीं
मिलता रहता हू...
बिन कहे
बदलो भेस
और उसको ये यकीन अब है हो चला कि आदमी नहीं वो वो तो आदमी का मददगार है। और उसको ये यकीन अब है हो चला कि आदमी नहीं वो वो तो आदमी का मददगार है।
जो अपने लोग से मिले, शिकवे गिले अनेक मिले! जो अपने लोग से मिले, शिकवे गिले अनेक मिले!
पाव में छाले लिए फिर रहा हूँ मैं दर-बदर, मंजिल मिलते ही मुकम्मल हर ख्याब फिर होगा। पाव में छाले लिए फिर रहा हूँ मैं दर-बदर, मंजिल मिलते ही मुकम्मल हर ख्याब फिर ...
चीख चीख कर सबको अपनी औकात बताते हैं। चीख चीख कर सबको अपनी औकात बताते हैं।
मेरा हे तुझको शाश्वत-दंडवत प्रणाम हर व्यक्ति की तरफ से तुझे रब से पहले सलाम। मेरा हे तुझको शाश्वत-दंडवत प्रणाम हर व्यक्ति की तरफ से तुझे रब से पहले सलाम।
श्वेत सुमनों का यह धतूरा वृक्ष आकर्षण कितना प्रबल। श्वेत सुमनों का यह धतूरा वृक्ष आकर्षण कितना प्रबल।
तुमसे लगाकर दिल अक्सर पछताए बहुत हैं इश्क़ बेपर्दा न हो अश्क हम छुपाये बहुत हैं! तुमसे लगाकर दिल अक्सर पछताए बहुत हैं इश्क़ बेपर्दा न हो अश्क हम छुपाये बहुत ह...
इसीलिये डोर पकड़ो पर ज़ोर से नहीं खींचो भी पर कमज़ोर छोर से नहीं। इसीलिये डोर पकड़ो पर ज़ोर से नहीं खींचो भी पर कमज़ोर छोर से नहीं।
जहाँ मैं हूँ मुझे वही रहने दो कोई नया मुकाम हासिल नही करना! जहाँ मैं हूँ मुझे वही रहने दो कोई नया मुकाम हासिल नही करना!
कभी खामोश तो कभी मचलती हैं...! ख्वाहिशें भी कमाल करती हैं। कभी खामोश तो कभी मचलती हैं...! ख्वाहिशें भी कमाल करती हैं।
मैं अधर्म से लड़ने हथियार ले चल पड़ाI मैं अधर्म से लड़ने हथियार ले चल पड़ाI
वो घर भी क्या घर था जिसे याद कर चेहरा मेरा दमकता रहता। वो घर भी क्या घर था जिसे याद कर चेहरा मेरा दमकता रहता।
अपनी हर खुशियां वो मिला देती है रसोई में। अपनी हर खुशियां वो मिला देती है रसोई में।
जिन्दगी को थोड़ा आसान बनाते है आओं इसे अपनी उँगलियों पर नचाते हैं। जिन्दगी को थोड़ा आसान बनाते है आओं इसे अपनी उँगलियों पर नचाते हैं।
हमारा मन भी कुछ ऐसा ही है जो गिरगिट सा रंग नहीं बदलता है! हमारा मन भी कुछ ऐसा ही है जो गिरगिट सा रंग नहीं बदलता है!
क़ैद कर लेने की फ़ितरत हो जिसकी उसको क़ैद बड़ी ख़लती! क़ैद कर लेने की फ़ितरत हो जिसकी उसको क़ैद बड़ी ख़लती!
मगर अच्छा होता हम पहले इंसान तो बन पाते। मगर अच्छा होता हम पहले इंसान तो बन पाते।
और चलायमान रखते संतुष्ट हो जाने वाली इस मृत प्राय दुनिया को। और चलायमान रखते संतुष्ट हो जाने वाली इस मृत प्राय दुनिया को।
अब मैं कुछ अनकहा किताब लिखूंगी, खुद को सवाल तुम को जवाब लिखूंगी। अब मैं कुछ अनकहा किताब लिखूंगी, खुद को सवाल तुम को जवाब लिखूंगी।
हर शख्स आज छुपाये है अंदर एक अनकही कहानी। हर शख्स आज छुपाये है अंदर एक अनकही कहानी।