Dr. Diptiranjan Behera
Abstract
चलाभी जायेगा ये काली रात
सूरज उगेगी आसा की साथ।
फिर से उड़ेंगे और भी ऊँचे
गिरके उठेंगे फिर से नीचे।
हुनर
खयाल
आसा
माँ
क्यों नहीं
मिलता रहता हू...
बिन कहे
बदलो भेस
अंदर ही अंदर से छलनी कर जाते हैं। अंदर ही अंदर से छलनी कर जाते हैं।
बारिश जब आती है यह उम्मीद रहती है कि हर एक बूंद में ज़िंदगी होगी। बारिश जब आती है यह उम्मीद रहती है कि हर एक बूंद में ज़िंदगी होगी।
कुछ कर गुज़रने की चाह ही तो, जिंदगी का सफर तय करती है। कुछ कर गुज़रने की चाह ही तो, जिंदगी का सफर तय करती है।
कहीं जिंदगी है मेरी, तन्हा.... नहीं मगर, उलफते दौर से गुज़र रहा हूं मैं. कहीं जिंदगी है मेरी, तन्हा.... नहीं मगर, उलफते दौर से गुज़र रहा हूं मैं.
मुकम्मल ज़िन्दगी का ख़्वाब नहीं कभी पूरा होता है. मुकम्मल ज़िन्दगी का ख़्वाब नहीं कभी पूरा होता है.
पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा साथ इसे अपने जीवन में शामिल करना होगा। पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा साथ इसे अपने जीवन में शामिल करना होगा।
चॉंद पर मानव का एक नन्हा क़दम , मानवता के लिये एक लम्बी छलॉंग। चॉंद पर मानव का एक नन्हा क़दम , मानवता के लिये एक लम्बी छलॉंग।
हमेशा ख़ुशी माँगी जिसके लिए वही काटे शाखें अलग बात है, हमेशा ख़ुशी माँगी जिसके लिए वही काटे शाखें अलग बात है,
कभी बंद आँखों से साफ नक़्श देखा शर्मशार बेगानो से बचा एक अक़्स देखा। कभी बंद आँखों से साफ नक़्श देखा शर्मशार बेगानो से बचा एक अक़्स देखा।
आज़ाद आया आज़ाद जाने की जिद में। मार कनपटी पर गोली सबको चौकाया था। आज़ाद आया आज़ाद जाने की जिद में। मार कनपटी पर गोली सबको चौकाया था।
जिंदगी का एक सबक हमने भी आज सीख लिया यहाँ जिंदगी का एक सबक हमने भी आज सीख लिया यहाँ
लोग रूठने लगे है। रिश्ते टूटने लगे हैं। लोग रूठने लगे है। रिश्ते टूटने लगे हैं।
क्यूं जिंदगी में इतने सवाल है, रोज हमें जबाब देना पड़ता है। क्यूं जिंदगी में इतने सवाल है, रोज हमें जबाब देना पड़ता है।
अंधेरी ज़िन्दगी में बादल हैं घनघोर घने, तिनकों में छिपे कुछ अनदेखे सपने। अंधेरी ज़िन्दगी में बादल हैं घनघोर घने, तिनकों में छिपे कुछ अनदेखे सपने।
इन कोमल नेत्रों से वही अश्रु उत्पन्न करते हैं हलचल उस ठहरे हुए मन में। इन कोमल नेत्रों से वही अश्रु उत्पन्न करते हैं हलचल उस ठहरे हुए मन में।
आशिकी में होश इतना भी नहीं लुटता रहा आ गया औकात पर उस शक्ल को तो देखिए। आशिकी में होश इतना भी नहीं लुटता रहा आ गया औकात पर उस शक्ल को तो देखिए।
दोस्ती कोई सितार नहीं, पायल की झंकार नहीं, दोस्ती कोई सितार नहीं, पायल की झंकार नहीं,
मानव जैसे मानव रहा ही नहीं बस मशीन बन रहा है, मानव जैसे मानव रहा ही नहीं बस मशीन बन रहा है,
मेरे प्यार से मिलने की दुआ दीजे दर्द का कारोबार है, साईं ! मेरे प्यार से मिलने की दुआ दीजे दर्द का कारोबार है, साईं !
भिक्षुक बन दर-दर मैं भटका, मिल न सका कोई ठिकाना भिक्षुक बन दर-दर मैं भटका, मिल न सका कोई ठिकाना