Dr. Diptiranjan Behera
Tragedy Fantasy
कुछ लिखने के खयाल आया तो तुम याद आये
तुम याद आये तो बस तुम्हीं याद आये।
ये तो बस बहाने ही था तुम्हे याद करने का
हम भूले कब थे जो अब याद आये।
सारे बहाने भी कम है यादों के आगे
बताओ भुलाऊँगा तो भुलाऊँगा कैसे।
हुनर
खयाल
आसा
माँ
क्यों नहीं
मिलता रहता हू...
बिन कहे
बदलो भेस
लेकिन धरती की कोख से अनाज कोठारों तक पहुँचा देते हैं। लेकिन धरती की कोख से अनाज कोठारों तक पहुँचा देते हैं।
मैंने किसी को कभी दिल नहीं दिया पर अब तुम्हें खोने को मन कर रहा है मैंने किसी को कभी दिल नहीं दिया पर अब तुम्हें खोने को मन कर रहा है
जब बाढ़ बन निकली तो लोगों ने कहा इसकी तो आंख का पानी ही मर गया है!! जब बाढ़ बन निकली तो लोगों ने कहा इसकी तो आंख का पानी ही मर गया है!!
लेकिन इतने भी संगीन नहीं की ज़िंदगी के लिए कुछ भी नहीं रहे अब। लेकिन इतने भी संगीन नहीं की ज़िंदगी के लिए कुछ भी नहीं रहे अब।
इस चारदीवारी में में कैद हो गई, अपने सपनों को मैं भूल ही गई। इस चारदीवारी में में कैद हो गई, अपने सपनों को मैं भूल ही गई।
कुछ आँखों की बनावटी नमी से, उस माँ का प्यार हल्का हो गया। कुछ आँखों की बनावटी नमी से, उस माँ का प्यार हल्का हो गया।
रातों के नींद फिर से गायब कर के, तू ना जा रातों के नींद फिर से गायब कर के, तू ना जा
अगर तुझे हमारा साथ थोड़ा, भी गवारा होता। अगर तुझे हमारा साथ थोड़ा, भी गवारा होता।
दाता होकर भी क्यों बना है "याचक" अन्नदाता! दाता होकर भी क्यों बना है "याचक" अन्नदाता!
कितने भी आए बादल दुखो के हर जख्म का निकाला मिल के हल कितने भी आए बादल दुखो के हर जख्म का निकाला मिल के हल
तू नाराज है फिर भी सहारा है जीने का तेरी यादें। तू नाराज है फिर भी सहारा है जीने का तेरी यादें।
लड़की एक लड़की होने की कितनी बड़ी कीमत चुकाती है लड़की एक लड़की होने की कितनी बड़ी कीमत चुकाती है
बच्चे बड़े हो गए इतनी जल्दी खिलौने बूढ़े हो गए इतनी जल्दी! बच्चे बड़े हो गए इतनी जल्दी खिलौने बूढ़े हो गए इतनी जल्दी!
मस्तिष्क को जकड़ता नकारात्मक भास हूँ मस्तिष्क को जकड़ता नकारात्मक भास हूँ
दिल ये दिल था मेरा कोई खिलौना तो ना था के खेला और खेल के तुमने इसे तोड़ दिया। दिल ये दिल था मेरा कोई खिलौना तो ना था के खेला और खेल के तुमने इसे तोड़ दिया...
चार पैसे कमा खुद को खुदा अब समझने लगे है लोग चार पैसे कमा खुद को खुदा अब समझने लगे है लोग
खामोशी एक लम्हा है , एक दास्तां है , एक एहेसास है ......। खामोशी एक लम्हा है , एक दास्तां है , एक एहेसास है ......।
प्रश्न तो है?? ये प्रकोप है,कोरोना महामारी का या सिस्टम की लाचारी का! प्रश्न तो है?? ये प्रकोप है,कोरोना महामारी का या सिस्टम की लाचारी का!
प्रश्न अनेक हैं, पर उत्तर नज़र नहीं आता है अब तिरंगे को देख देख मन उदास हो जाता है। प्रश्न अनेक हैं, पर उत्तर नज़र नहीं आता है अब तिरंगे को देख देख मन उदास हो जात...
वो अंधेरे में एक लौ की तरह थी जो आज तूने बुझा डाली वो अंधेरे में एक लौ की तरह थी जो आज तूने बुझा डाली