Dr. Diptiranjan Behera
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फूलों से कोमल है वो
है नदी से गहरा
उसके जैसा कोई नहीं
है वो माँ का चेहरा।
हुनर
खयाल
आसा
माँ
क्यों नहीं
मिलता रहता हू...
बिन कहे
बदलो भेस