महत्वाकांक्षा
महत्वाकांक्षा
महत्वाकांक्षा,सपने,कुछ करने की धुन,
ये बढ़ाते हैं आगे,और आगे, हमें पूरे जीवन।
सपने वो नहीं होते जो हम रात को देखते हैं
सपने वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते हैं।
जो हमसे,हमारी भूख छीन ले,
दिन का चैन,रात की नींद छीन ले।
इतनी लगन,मेहनत करें हम दिन रात
कि मंजिल तक पहुंचे बिना करें न कोई बात।
वो महत्त्वाकांक्षा कही जा सकती है
पर उसके और अति महत्वाकांक्षा के
बीच एक महीन सी सीमा रेखा है
जिसे , जिसने भी गर नहीं देखा है।
तो उसे ये बर्बाद भी कर देती है।
उनका फर्क करना,जरूर जान लो।
फिर जुट जाओ,सपने पूरे करने में
कोई मर्यादा भंग न करोगे,ये ठान लो।
अति हर चीज की ही बुरी होती है,
चाहे खाने की हो,घूमने की हो या कुछ और।
जो भी काम हद में रहकर किए जाते हैं
वो ही सफलता की मंजिल तक हमे पहुंचाते हैं।
इसलिए महत्वाकांक्षा रखो,
पर इसकी अति से हमेशा बचो।
जहां वो अर्श पर पहुंचाएगी,वहीं
अति उसकी जमीन भी चटवाएगी।