महोत्सव
महोत्सव
नववर्ष आते ही शुरू हो जाते हैं महोत्सव ,
होली , बैसाख और दीपावली का शोर हर तरफ ,
मेरी हर खुशी में तेरा साथ देता है गवाही ,
जब धानी चुनर ओड़ मैं तकती तुझे हर तरफ।
तेरा हाथ थाम कसके मैं बेसुध सी कहीं घूम जाती ,
फिर रंग लगा तेरे गालों पे उड़ा देती गुलाल हर तरफ ,
तेरा भर के बाहों में मुझे वो चूमना अच्छा लगता ,
मैं बहुत देर तक मदहोश रहती और देखती हर तरफ |
दीपावली के शोर में जब सब मिलकर पटाखे चलाते ,
हम अपने दिल की फुलझड़ी को घुमाते हर तरफ ,
मिठाईयाँ मुँह मीठा करातीं सबका त्योहारों पर ,
हम चुम्बन से मुँह मीठा करा भाग जाते हर तरफ।
मेरे हर महोत्सव में तुम बस इसी तरह शामिल रहो ,
मैं आखिरी साँस तक भी ढूँढूँगी तुम्हे हर तरफ ,
इस बेरंग सी ज़िन्दगी में गर रंग है कोई नया ,
तो वो प्यार का ही रंग है जिसकी पूछ है हर तरफ।।