महंगाई
महंगाई
चुनाव हो गये है, अब खत्म
महंगाई बढायेगी, अब कदम
खुशियां मनाएंगे नेताजी, अब
ओर हमारा निकाल देंगे, दम
हंसना तो अब भूल जाओ
आंसुओ भी न रहे, अब थम
महंगाई कहर ढहा रही, गजब
रोशनी भी दे रही, अब तम
अंजाम कुछ ऐसा हो रहा है
आंसू खुद ही, अब रो रहा है
महंगाई दे रही, अब वो गम
खाने के पड़ गये लाले मम
चुनाव के बाद बढ़ी, यह महंगाई
रूस, युक्रेन ने ओर आग लगाई
महंगाई कहती, ले तू दूजा जन्म
इस जन्म, तो न होउंगी में खत्म
खुदा तू ही कर, हम पर रहम
महंगाई डायन को कर, कम
इसने मध्यवर्गीय परिवार को,
दिये आज इतने ज्यादा जख्म
लहूं ज्यादा, आंसू बह रहे कम
महंगाई डायन गर करना, खत्म
बचत देव का करो, तुम वंदन
बुरे वक्त पर यह, बनेगा चंदन
जब भी महंगाई करेगी, जुल्म
बचत देव लगायेगा, मल्हम
साथ तुम जरूरतें करो कम
अनावश्यक खर्चे करो कम
जैसे व्यर्थ बाइक न चलाओ
सब्जी, दूध लेने पैदल जाओ
तन स्वस्थ रहे, पैदल चले हम
महंगाई का भी निकलेगा दम
ओर यह डायन नही देगी, गम
गर सही तरीके से जिएंगे हम
चुनाव हो या युद्ध का हो जन्म
महंगाई से न होगी आंखे नम
जितना चाहे, उतना लो तुम
महंगाई पर फेंको संयम बम
मितव्यय की चलाओ कलम
महंगाई रोयेगी, कदम-कदम।